भागी लड़की
भागी लड़की
1 min
238
गुलशन में अब रंग बू बहार नहीं है।
चटकी हुई कली का यार नहीं है।
तितलियां बेपर्दा जब से आ गयीं।
अब हवस है बाकी प्यार नहीं है।
बिजली गिर जाती थी मिज़गा से?
अब उन नजरों में कोई धार नहीं है।
गुलों के अधरों के आते थे भौरें ।
अब मक्खी को भी ऐतबार नहीं है।
एक लाश अटैची में देखकर हुए दंग।
अबला या बद है पर किरदार नहीं है।
सब ने कुछ कहा मैं खामोश था खड़ा।
वो प्यार में भागी थी समझदार नहीं है।
