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Abdul Qadir

Others

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Abdul Qadir

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भौरें की कली

भौरें की कली

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उनसे नज़रें मिलीं तो करार आ गया, 

सुकून दिल को मिला प्यार आ गया। 


गुल गुलाबी रहा और तिश्नगी भी रही, 

छूना चाहा तो बस बीच ख़ार आ गया। 


कली भौरों से मिल के जवान तो हुई, 

प्यार के वक्त उनका इक यार आ गया


भौरे और कली का हो सका ना मिलन , 

फूल लेने को इक कुमार आ गया। 


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