बेटी की पुकार
बेटी की पुकार
माँ बिन क्या होगा जीवन
ये सोच कर हम रो पड़ते हैं
आज तो तू हर पल हमको
सही राह दिखाती है
नींद ना आये चैन ना मिले
कभी तो अपनी छाया में सुला
लेती है
तेरे बिन कैसे जीयेंगे हम तू ही
तो है मेरा सहारा
अब तो तू थाम लेती हाथ मेरा
गिरने नहीं देती मुझ को
कौन थामेगा हाथ मेरा गर मैं
गिरने लगूंगी
तेरी ही परछाईं हूँ मैं माँ
जैसे तूने चाहा वैसी ही हूँ मैं
तेरे बिना कैसे जीयूँगी मैं
तेरे बिना जीने की आदत नहीं
तू हर पल रहना
साथ मेरे
कोई नहीं मेरा तेरे सिवा
ना समझ मुझ को तू
पराया धन
मैं तो हूँ तेरी लाडो रानी
हाथ पकड़कर तूने मुझे
चलना सिखाया
आँसू पोछ कर हँसना सिखाया
हर मुसीबत से मुझ को
लड़ना सिखाया
हार को अपनी जीत में
बदलना सिखाया
कहकर पराया धन मुझ को
ना कर देना परायी
पराया करके भी ना कभी
करना परायी
है तेरा मेरा खून का रिश्ता
बाबुल
मैं तो तेरी प्यारी बिटिया
तेरी राज दुलारी
ना कहना तू परायी मुझ को