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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

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बेईमानी

बेईमानी

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आजकल हर तरफ हो गई बेईमानी है

नहीं रह रही किधर ईमान की वाणी है

लोग कहते कुछ है और करते कुछ है,

आज मन में भर गया झूठ तूफ़ानी है


ख़ुदा को लोग आजकल भूल गये है,

लोभ के फंदे पर वो यूँ ही झूल गये है

ज़्यादा लोभ में करते काम शैतानी है

आज हर तरफ हो गई बेईमानी है


लोग आज सोचते ऐसे, वो मरेंगे कैसे

उनके पास है बेईमानी के बहुत पैसे

खुद की समझते लोग अमर कहानी है

जानबूझकर पी रहे वो गंदा पानी है


वो जानते है पर ख़ुदा को मानते नहीं है

पैसे को समझते वो लोग जिंदगानी है 

आज हर तरफ़ हो गई बेईमानी है


ईमानदारी से आये या बेईमानी से आये,

ये धरती को कर रहे दोज़ख़ की रानी है

उनकी सज़ा बहुत बुरी मुकर्रर की खुदा ने

मर कर नहीं जीते जी रहेंगे वो नरक में,

ख़ुदा देगा उन्हें असाध्य रोगों की ज़ुबानी है


जिनकी नियत में रही है सदा बेईमानी है

ख़ुदा देगा उन्हें दोज़ख़ का खोलता पानी है

आजकल हर तरफ हो गई बेईमानी है

पर जीतती सदा ईमानदारी की नानी है



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