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J P Raghuwanshi

Children Stories

3  

J P Raghuwanshi

Children Stories

"बचपन"

"बचपन"

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बचपन की कोमलता,

मासूमियत कहां गई।

न चिंता न परेशानी,

सुकून की वो जिन्दगी कहां गई।


माता-पिता का प्यार,

खूब मिलता था।

सुनकर मां की बातें,

मुख कमल जैसा खिलता था।


साथ में खेलते थे खाते थे,

लड़ते थे, झगड़ते थे।

फिर एक हो जाते थे।


न जाति का था बंधन,

खूब भाईचारा था।

लगाते थे चक्कर,

घर-आंगन हमारा था।।


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