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Saroj Garg

Children Stories

3  

Saroj Garg

Children Stories

बचपन

बचपन

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बचपन के दिन भी क्या दिन थे 

उड़ते फिरते तितली बन,

कभी पतंग उड़ाते ,

कभी माँ से रूठ जाते 

अपनी बात मनवा लेते 

कभी कंच्चे खेलते ,

कभी कागज की नाव 

पानी में चला कर 

अपने को शूरवीर समझते ।

कभी दौड़ भाग कर 

घर में आतंक मचा ते,

सबको परेशान करते ,

दुःख सुख का कुछ ज्ञान नहीं था 

बस अपनी धुन में रहते मस्त। 

बस यही है बचपन। 

 


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