बचपन सुहाना
बचपन सुहाना
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बचपन की यादों ने
मन सबका खुश कर दिया
सोचने पर मजबूर कर दिया।
वाह! बचपन के दिन भी क्या दिन थे,
स्कूल जाना,
गाना गाकर तख्ती सुखाना,
कलम से सुन्दर लिखना
जी की निब से कमाल ढाना।
बुड्ढी के बाल खाना
इमली के चटकारे लेना,
संतरे की गोलियाँ खाना
गुड़ गट्टा चबाना व दाँतो से निकालना।
साइनेटाइजर अपना कुरता
बस हाथ पौंछा व खा लिया
आर ओ नहीं ,कुएँ ,बौड़ी ,
नदी सब हैल्दी।
कितने प्यारे थे वो दिन
काश!लौटा लाए कोई
वो बचपन सुहाना।
