बचपन मे लौट जाने को
बचपन मे लौट जाने को
बचपन की शैतानियां बचपन की नादानियां
अब पचपन की उम्र में भी करने को दिल करता है
डाँट अपनो की खाने को दिल करता है
याद आ जाता है वो बचपन अपना
जब किसी नन्हे मुन्ने को शरारतें करते देखते है
बहुत सताया है हमने माँ को पीछे पीछे अपने
अपनी नादानियों को याद करके मुसकुराने को दिल करता है
नहीं लौट कर के आएगा बचपन हमारा जानते है हम
फिर क्यों वो ही बचपन जीने को जी करता है
काश लौट आये वो संगी साथी हमारे जो बिछड़ गए
काश फिर से मनवा ले हम अपनी हर ज़िद्द अपनो से
क्यों फिर से ज़िद्दी बनकर जीने को दिल करता है
