"बच्चे मन के सच्चे"
"बच्चे मन के सच्चे"
कहते हैं बच्चे भगवान का रूप हैं ,
सच्चाई और मासूमियत का स्वरूप है।
बच्चे माता पिता का सम्मान होते हैं,
उनका गौरव, उनका अभिमान होते हैं।
माता-पिता अपनी पूरी जिंदगी
बच्चों के नाम कर देते हैं,
अपनी पूरी पूंजी उन पर न्योछावर कर देते हैं।
कहते हैं बच्चे बड़े हो जाते हैं,
असली मजा तो तब है,
जब बड़े भी बच्चे बन जाते हैं।
बदलते समय की भाग दौड़ में,
झूठ और घमंड की चादर में,
भूल गए हैं अच्छाई क्या है,
जीवन की सच्चाई क्या है?
हम चाहे कितने ही बड़े हो जाए,
हमेशा अपने मां बाप के बच्चे ही रहेंगे।