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Amit Bhatore

Others

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Amit Bhatore

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बारिश, आखिर जीत ही गई

बारिश, आखिर जीत ही गई

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बारिश, आखिर जीत ही गई

मुझे भिगोकर कुछ देर

लौट गई लेकर 

उम्मीदें, ख्वाहिशें और ख़्वाब

और भी बहुत कुछ


लेकिन नहीं ले जा पाई

एहसास, अंतरमन की प्यास

अबकी बार ज़रूर आना

भीगेंगे जी भरकर

भूलकर सब कुछ 

दे जाना अगर दे सको तो

सब्र, सुकूँ, खुशी और हँसी


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