बाल कविता -४
बाल कविता -४
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काली बिल्ली चूहा मोटा,
ले के भागा हाथ में लोटा,
बिल्ली बोली डर मत प्यारे,
आओ मिल कर खेले खेल,
चूहा बोला प्यारी मौसी,
नहीं हमारा कोई मेल,
बिल्ली बोली पास आ मेरे,
तुझको कुछ दिखलाऊं,
चूहा बोला प्यारी मौसी,
कैसे पास मैं तेरे आऊं,
देख तेरी नज़रों से हरदम,
मैं तो बहुत घबराऊं,
सुन कर बिल्ली आई नीचे,
चूहा भागे बिल्ली पीछे।
