बाजारू जलपान
बाजारू जलपान
गुड़-गुड़ गुड़-गुड़ पेट कर रहा
हैरी था हैरान
मम्मी पापा से छुप करता
बाजारू जलपान।
भाते उसको पिज्जा बर्गर
हाट डाग मोमोज
पीता था वह कोक रात दिन
कोना कोना खोज,
करता अपनी ही मनमानी
वह जिद्दी नादान।
मम्मी दादी रोज बतातीं
खाओ रोटी दाल
हैरी तुम्हें अगर रखना है
निज सेहत का ख्याल,
करता था वह आना कानी
हटा सीख से ध्यान ।
दर्द हुआ जब बहुत पेट में
खूब पड़े जब दस्त
रो-रो बिस्तर पकड़ा उसने,
हाल हो गया पस्त,
मम्मी से तब माफी माँगी
सच का किया बखान ।
सिर सहला कर मम्मी बोली
सुनो लगाकर ध्यान
घर का केवल भोजन करना
लो इतना संज्ञान,
ये लो ठंडा शर्बत पी लो
लौटेगी मुस्कान।
