बादल
बादल
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बादल चाचा घड़ -घड़ करके,
खेल रहे क्यों पानी में।
हो जाओगे बीमार सुनो तुम,
वर्षा की मनमानी में।।
रिमझिम बूँदों की पहन पैंजनिया,
वर्षा खूब इठलाती है।
इसीलिए क्या घुमड़ -घुमड़ के
ढोल दुंदुभी बज जाती है?
बादल चाचा बिजली चाची
क्यों गुस्से से हैं हुई लाल ?
सच बतलाओ कैसे लंगड़ी
हुई आप की मस्त चाल ?
क्या वर्षा रानी के कारण,
रूठे आपके सूरज भैया।
गरज -गरज बिजली चाची ने,
खूब कराया क्या तुम्हें ता -थैया!
जो भी है पर धरा पर सारे,
मस्ती में खुशहाल हैं।
देख फुदकते मैंढक मौसा को
मकड़ी ने छोड़ा जाल है।
हँसते-हँसते मछली मौसी का
हाल हुआ बेहाल है!
हो हुल्ला कर नाव चलाते
नन्हें बाल -गोपाल हैं।