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Rupesh Kumar

Others

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Rupesh Kumar

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अर्चना दो

अर्चना दो

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नवीन गीत लिख सकूँ , नवीन कल्पना दो !

नवीन गीत गा सकूँ , नवीन अर्चना दो !!


नवीन सृष्टी में मुझे , नवीन साज से मुझे ,

सँवार दो निखार दो और मुझे प्यार दो ,

नवीन आवाज से मुझे , नवीन बाज से मुझे ,

गुंजित करो , पुलकित करो , नवीन संसार दो ,

शब्द छन्द ताल का और भी रचना दो !

नवीन गीत लिख सकूँ , नवीन कल्पना दो !!


नये नभ में देखो , नये विहग गा रहे ,

नये नीङ के लिये , नये पात ला रहे ,

सूखे हुये बाग भी , नये बहार ला रहे ,

की वृक्ष भी रुखे हुए , नये गुल खिला रहे ,

नये मुक्त मन में , नवीन अर्चना दो !

नवीन गीत लिख सकूँ , नवीन कल्पना दो !!


नये निर्माण के लिये , नया विहान हो चुका ,

नई सृष्टी के लिए , नया गान हो चुका ,

नये संगीत के लिये , नया साज सज़ चुका ,

नये पवन के लिये , नया ध्वज लहर उठा ,

नवीन आरती सजी , नवीन प्रार्थना दो !

नवीन गीत लिख सकूँ , नवीन कल्पना दो !!


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