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GOPAL RAM DANSENA

Others

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GOPAL RAM DANSENA

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अंतिम साथी

अंतिम साथी

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बचपन के पल में

जब मैं झूमा, इठलाया

बस पीछे देखती मिली तू

शायद जीवन के सच्चाई से वाकिफ तू

मेरे नादानी को देखने की जरूरत न समझी .I


वक्त के प्रहर में जब मैं जुझता रहा

कठिनाईयों में महसूस किया जरूरतों को

तुम कुछ दूर रही अंधेरे में साये की तरह

मैंने महसूस किया तुम्हें

एक खुदगर्ज साथी की तरह. I


और अब जब जीवन मेरे बाँहें थामने में

असमर्थ है मुसीबत है सामने

तुमने अपना रूप दिखाया

हाथ बढ़ाया एक तृप्ति के साथ

जीवन की हर संघर्ष झूठी प्रतीत हुई

एक तेरी साथ पाकर. I 


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