अंधेरों से उल्फत हो गई।
अंधेरों से उल्फत हो गई।
उजाले तुमने मेरे जब से लिए
अंधेरों से हमको उल्फत हो गई
जिंदगी जब से सिमट कर रह गई।
अकेले की हमको आदत हो गई।
फिर भी तुम इतना तो बता दो
सच में क्या कोई खुशी तुमको मिली।
पांव रख कर के मेरी बर्बादियों पर
क्या कोई मंजिल नई तुमको मिली।
या मुझे बेजार कर इस संसार से
फिर तुम्हें जीवन से उल्फत हो गई।
उजाले तुमने मेरे जब से लिए।
अंधेरों से हमको उल्फत हो गई
इस चमन में फिर नए गुल खिलेंगे
उन पर कांटों के नए पहरे लगेंगे।
भ्रमर पहले की तरह आते रहेंगे।
और कलियों को भी फुसलाते रहेंगे।
प्यार की अब यही फितरत हो गई
उजाले तुमने मेरे जब से लिए।
अंधेरों से हमको उल्फत हो गई।