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Dr.Shree Prakash Yadav

Others

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Dr.Shree Prakash Yadav

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अदृश्य ताज

अदृश्य ताज

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छद्म बुद्धिजीवियों को

समझ में नहीं आ रहा है।

तब्लीगी जमात

निहंग सीखो का कुकर्म सामने आ रहा है।

पुजारी, पंडो, मौलवियों

का धंधा समाप्त हो रहा है।


तथाकथित

धार्मिक संगठनों का पोल खुल रहा है।

चमत्कारिक,रहस्यमई

डायमंड जड़ित दरवाज़े नहीं खुल रहे हैं।

पोंगा, पंडित, मौलवी

का सिंहासन हिल रहा है।


अदृश्य

दृश्य पर वार कर रहा है।

देवी, देवताओं

का अस्तित्व समाप्त हो रहा है।

ताज

प्रकृति का साम्राज्य ला रहा है ।

यह लफाजी नहीं

घनीभूत वेदना की अंतहीन कहानी है

मैं कवि नहीं हूँ

अपने जज़्बातों को शब्दबद्घ कर रहा हूँ।



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