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Mr. Akabar Pinjari

Others

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Mr. Akabar Pinjari

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👨‍👩‍👧‍👦 *अबॉर्शन* 👨‍👩‍👧

👨‍👩‍👧‍👦 *अबॉर्शन* 👨‍👩‍👧

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मैं ऐसी मां का लालू हूँ,

जो उसके ही अंत का, काल हूँ

मैं खिलना पाया, उस गुलशन का गुल हूँ

जो फूल नहीं, जीवन का अकाल हूँ।


यहां दर्द में चुभती आहें भी,

यहां सर्द सिमटी-सिमटी बाहें भी,

दिल सब कुछ बदलना चाहे भी,

पर जिधर देखूं उधर दर्दनाक राहें भी। 


अपना दिल भी अब कहां गवारा देता है,

न जाने वह कौन-सा लम्हा, अब हमें गुजारा देता है,

तसल्ली देने वालों का भी, अब इरादा बदल गया है,

यह ज़माना बहुत बुरा है, ये तानों के संदूक में, विष का पिटारा देता है। 


काटती है बातें, ज़रूरत से ज़्यादा हमें,

बड़ी ऊंची शानों-शौकत का, कड़वा नकाब पहनाया गया है हमें,

वो मां ही जानती है अबॉर्शन का दर्द बेशक, 

जिसके खून से सींचा जाता है नौ माह हमें।


न जाने क्यों खुलेआम, यूं ही जान ली जाती है,

गंदे खयालातों के सबूत में, ऊंची शान दी जाती है,

यह इंसानियत की बेरहमी का, बेदर्द सबूत है यारों,

जो जीती जागती मां से, उसके बच्चे से पहचान छीन ली जाती है। 


वह मुश्किल की घड़ी को, तुम क्या कहोगे, 

तुम हो इतने खूंखार, की दर्द क्या सहोगे,

और जिनकी ख़ुद की जिंदगी ही, बदसलूकी से भरी हो,

वे नन्हें चिराग़ों की, जिंदगी की अहमियत, क्या समझोगे।


अब मत टालिये इस अबॉर्शन की जान को,

और अब तो समझिए इस पाकीज़ा, आपके अभिमान को,

याद करो तुम भी, अपने वजूद की, इसी खान को,

अब मत मिटने देना यारों, खुद अपनी ही पहचान को। 

  



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