अब तो अरुणोदय हो
अब तो अरुणोदय हो
अब तो अरुणोदय हो
नूतन सूर्य उदय हो।
उदयाचल से दिगदिगन्त तक,
फैली अभिनव लालिमा,
दीप करो विश्राम ज्योति से
अधिक तुम्हारी कालिमा,
शरणापन्न तिमिर से रण का,
अब न अधिक अभिनय हो,
अब तो अरुणोदय हो
नूतन सूर्य उदय हो।
अब तो धूप धरा पर उतरे
चढ़ किरणों की पालकी,
फिर आँगन में सजे रंगोली
मोती और गुलाल की,
खिल जाये प्राची का पाटल
ये उपवन अक्षय हो,
अब तो अरुणोदय हो
नूतन सूर्य उदय हो।
ताले खुलें सांकरें चटकें
निशि के कारागार के,
ऐसी हवा बहे घर देहरी
कर दे स्वच्छ बुहार के,
मुझसे तुझको तुझसे मुझको
नहीं तनिक भी भय हो,
अब तो अरुणोदय हो
नूतन सूर्य उदय हो।
पर फैलाये उड़ें चिड़कुली
विस्तृत नील वितान में,
श्रम के विजय गीत गुंजित हो
खेतों में खलिहान में,
वृन्दावनी वेणु की धुन में
जन गण मन तन्मय हो,
अब तो अरुणोदय हो
नूतन सूर्य उदय हो।