अब मसले अगर यूं ही उलझाये जाएंगे अब मस्अले अगर यूँ ही उलझाये जाएंगे ।
अब मसले अगर यूं ही उलझाये जाएंगे अब मस्अले अगर यूँ ही उलझाये जाएंगे ।
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अब मसले अगर यूँ ही उलझाये जाएंगे
अब मसले अगर यूं ही उलझाये जाएंगे
फिर किस तरह से रिश्ते ये महकाये जायेंगे
जिनका ज़माने में कोई मेयारो क़द नहीं
वो लोग शाही तख़्त पे बैठाये जायेंगे
अम्नो अमां की बात करेंगे जो अब यहाँ वो लोग यूँ ही दार पे लटकाये जायेंगे
बदलो मियाँ मिज़ाज ,के अब वक़्त वो नहीं पीतल सिफ़त ही वरना यूँ चमकाये जायेंगे
जो रहबरी करेंगे मुहब्बत ओ इश्क़ की अपने ही .खूँ से वो नहलाये जायेंगे
मेरा यकीं नहीं तुझे तो इश्क़ कर के देख
फिर देखना के कैसे सितम ढाये जायेंगे
इक्कीसवीं सदी हो के ,बाइसवीं सदी
क़िस्से हमारे प्यार के दुहराये जायेंगे ।
