आवारा बादल
आवारा बादल

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इक बादल और इक बदली
घर उनका है नील गगन
बदली के चंचल नयनों में
हैं अश्रु भरी भीगी अनबन
बादल उड़ता संग हवा के
इधर - उधर बंजारा बन
गर्जन करता फिरता रहता
अंजान -गली आवारा बन
देख बादल का आवारापन
द्रवित हुआ बदली का मन
बदली बोली बादल से
तुम छोड़ दो ये आवारापन
हम -तुम दोनों साथ मिलें
बरसें घनघोर घटायें बन
बात यह भायी बादल के मन
बादल - बदली का हुआ मिलन
घनघोर घटाओं ने घिरकर
फिर खूब भिगोया धरती का तन।