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राजेश "बनारसी बाबू"

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राजेश "बनारसी बाबू"

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आसमान के तारे

आसमान के तारे

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आसमान के तारो में बसती है मेरी मांँ

दूर आसमान के चांँद सितारों के बीच चमकती है मेरी मांँ

जब मैं खुद को तन्हा पाता हूं

हर घड़ी हर पहर हर अक्श में 

खुद को ढूंढता पाता हूं

बेवक्त इन आसमान के चादर

तले सर रख देर तक तारो के 

बीच खुद को महफूज पाता हूं

पापा से मैने कई सवाल किए है

हर घड़ी हर रात हर बात पर वबाल किए हैं

पापा कहा है मेरी मांँ बताओ ना

अपने बच्चे को अपनी मांँ से मिलाओ ना

मेरे मुन्ना तेरी मांँ इन आसमान के तारो में बसती है।

तेरी मांँ चांँद तारो संग हसी ठिठोली करती है।

मांँ कब आओगी चांँद तारो को छोड़कर

मेरे संग भी कब बिताओगी वो हसीन पल

उन चांद तारो को छोड़कर

मांँ तारो की तरह क्यूं चमकती हो आप

हर घड़ी अपने बेटे से क्यूं दूर रहती हो आप

मांँ बहुत अकेला महसूस करता हूंँ

घर में तमाम खुशियां है फिर भी उदास रहता हूंँ

मदर्स डे पे सबने मांँ संग बिताया 

मैने खुद को तेरी तस्वीर संग रोता बिताया

मांँ वादा करो अपनी गोद में बैठाओगी 

आसमान के तारो पर सैर भी कराओगी

मुझे अपनी गोद में खीर भी खिलाओगी

मांँ मैं रोज आसमान में तारो के

निकलने का इंतजार करता हूंँ

मैं रोज अपने बाल गणेशा से आपसे

मिलने की फरियाद करता हूंँ

मांँ मैंने कल रात रोते हुए बिस्तर में बिताया

कल रात के समय जब बदली है छाया

कल रात में ना चांँद तारे दिखे थे

चारो ओर बारिश ओले दिखे थे

अब खुद से उदास रहता हूँ

बाल गणेशा से ना बात करता हूंँ

स्कूल में कल रोहन ने कहा था

बड़ा बेदर्द बेवाक लफ्ज़ मे कहा था

जो लोग मर जाते है आसमान के तारे बन जाते हैं

जो लोग मर जाते है कभी ना वापस आते हैं ।

तेरी मांँ आसमान का तारा बन गई है

लगता वो अब मृत्यु को प्राप्त हो गई है.


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