आशियाना
आशियाना
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मुझे दर्द झूठा लगा अपना जब देखा घर गरीब का
झूठा लगा वजूद खुद का जब सोते देखा उन्हें भूखा।
अहसास मिला खुशी का जब गम में हँसते उन्हें देखा
सीख मिली उनसे जब खाली पेट भी उन्हें खुश देखा।
प्रेरणा मिली उनसे जब धूप में कड़ी मेहनत करते देखा
दर्द हुआ कम मेरा जब धूप में चेहरा खिला उनका देखा।
