*आरज़ू*
*आरज़ू*
तेरी प्यार की खुशबू में न जाने क्यों खींचा चला आता हूँ,
मैं सितारों की तरह टिमटिमाता रहता हूँ ।
तेरे आने से महकता है दर हमेशा मेरा,
मैं दौड़कर तेरा हमसफ़र होने को चला आता हूँ ।
तू बख्श दे मेरी खताओं के फसाने,
मैं वफ़ा के मोतियों में, धागा पिरोए जाता हूँ ।
और तमन्ना तुम्हें पाने की ना थी, ना है,
मैं तो सिर्फ कुछ पल का, तेरा साथ चाहता हूँ ।
ना तू पास आ मुझ तक, ना मैं दूर जाता हूँ,
तू मेरी नहीं होगी पता है , पर मैं तेरा होना चाहता हूँ ।
ऐतबार ना होगा तुझे गर मुझ पर, तो आज़मा ले,
मैं तेरे खातिर, सरेआम नीलाम होना चाहता हूँ ।
याद रख, इश्क को तेरे बदनाम ना होने देंगे,
मर जाएंगे, पर तेरे तसव्वुर की शाम ना होने देंगे ।
और ना कर आजमाईश मेरी वफ़ा की जानेमन,
मैं सच्चे प्यार के सिक्कों सा खनखनाता रहता हूँ ।