आपकी तबस्सुम
आपकी तबस्सुम
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अपने मुखड़े की तबस्सुम को
आप यूँ ही रहने दो।
ज़रा ठहरो मुझे उस पर
गीत तो लिख लेने दो।
बोलती हैं जब ये आंखे
मंद हँसी के साथ ,
दिल में उतर जाती है
तब आपकी हर बात।
अपने जज़्बातों को यूँ ही
नुमाया रहने दो ,
ज़रा ठहरो मुझे उस पर
गीत तो लिख लेने दो।
अपने मुखड़े की तबस्सुम को
आप यूँ ही रहने दो।
चंचल चितवन से
जब देखते हैं आप ,
बयां करती हैं निगाहें
बिन कहे हर बात।
ज़रा ठहरो ,उस बात को
दिल में उतार लेने दो।
ज़रा ठहरो मुझे उस पर
गीत तो लिख लेने दो।
अपने मुखड़े की तबस्सुम को
आप यूँ ही रहने दो।