आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं


आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
कुछ हम कुछ आप खरी खरी सुनते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
बंद कमरे में नहीं खुले आसमान में चलते हैं
सुना हैं यहाँ दीवारों के भी कान होते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
हँसी ख़ुशी तो बातें हर दिन करते हैं
आज कुछ बातें आँसुओं में भिगोते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
भीड़ में भी हम अकेले ही चले जा रहे थे
कदम दो कदम ही सही साथ साथ चलते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
कुछ उलझी हुई बातों को सुलाझते हैं
दोनो के दरमियाँ कि दीवार मिटाते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
बेशक शक करने कि वजह कुछ भी नहीं है
चलो एक दुजे की आँखो को आईना बनाते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं
कुछ हम कुछ आप खरी खरी सुनते हैं
आओ चलो आज हम बेनकाब होते हैं