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Mayank Kumar

Others

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Mayank Kumar

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आंखों का जाल

आंखों का जाल

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आंखों के जाल में

अब न फँसाना मुझे

तेरी वह आज़ाद

करने वाली मुस्कान

शराब के जैसी थी

जिसमें कुछ पल खुद को

झोंका जा सकता था

लेकिन कुछ वक्त बाद ही

दुनिया तबाह हो जाती थी


तुमने किसी राजनेता सा

मोहब्बत किया मुझे

जब तक मुझसे आबाद रही तुम

तब तक मुझे खुद का

जहान बोलती रही

पर जैसे ही कोई और

चमकदार जहान दिखा

वैसे ही मुझे तुमने किसी

कूड़े सा फेंक दिया

तुम अपनी आंखों में

कई जहान बसाया करती हो

जैसे ही कोई एक खिलता है

वैसे ही कई जहान डूब जाता है

बिल्कुल अंबर के सितारों सा



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