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Anand Kumar

Others

4.8  

Anand Kumar

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आँखें हार गई

आँखें हार गई

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इस इंतज़ार को 

ख़त्म न होना था, 

इन आँखों को 

सदा से हारना ही था।


पर, ज़िद थी मेरी 

कुछ इस कदर चाहूँगा,

ऐसी शिद्दत से पुकारूँगा,

तुझे, एक दिन लौटना होगा 

मेरे प्यार को कबूलना होगा।


विरह को बीतना होगा, 

इंतज़ार को ख़त्म होना होगा,

हर पल, तेरी राह तकती 

इन आँखों को जीतना होगा।


पर, ये ज़िद जीता नहीं 

सावन बीता, पतझर आयी

मेरी पुकार तुझ तक 

कभी पहुँच ना पायी

इंतज़ार अब भी बीता नहीं।


सहसा दिल में,

एक चीख सी उठी 

साँसे थम गई, और 

आँखें हार गई।।


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