आने वाले कल
आने वाले कल
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किसी आने वाले कल
दूंगा समय को देश निकाला,
फिर, सूर्य नहीं उगेगा
तेरी आँखों में खिलेगी,
मेरी इच्छाएं आकांक्षायें।
सहस्त्र सूर्य बन
लिफाफे में मेघ धनुष
लिये श्वेत-अश्व आसमानी
लाएगा मेरा प्रणय-सन्देश।
मेरे खुले केशों में - बिखरेगी प्रतीक्षा।
आकाश-गंगा के पार
जन्मेगा एक शांग्रीला,
हमारी वेदना के गर्भ से!