आख़िर क्यों
आख़िर क्यों
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मुझे रोकते क्यों हो।
मुझे टोकते क्यों हो।
रस्मों की आग में यूँ,
मुझे झोकते क्यों हो।
निकलूँ तन्हा राह में,
तो भौंकते क्यों हो।
जो आगे बढ़ना चाहूँ,
मुझे रोकते क्यों हो।
पढ़कर मेरी कहानी,
तुम चौंकते क्यों हो।
