आजादी.....
आजादी.....
हाँ मुझको आजादी मिली
किस बात की मिली
बाहर निकलूँ होवे छेड़खानी, भीतर भी मैं अब कहाँ बचपानी,
लड़की बचाओ के नारे गूँजते, हर घर लड़की तो अब मारी जानी,
रास्ते चलते-चलते बहन मेरी उठवा ली
उठी जो चीख तो उसे खामोश कर डाली
हाँ मुझको आजादी मिली
किस बात की मिली
गरीब का बेटा भूखा ही सोता, अमीर का बेटा झूठन से मन फेरता,
घर का कुत्ता महलों में जीता रास्ते का भी पंच भोज है खाता,
दिन -रात के पल में एक का भरा तो पर दूसरे का पेट था खाली
हाँ मुझको आजादी मिली
किस बात की मिली
नोटों के जो रंग बदले, इंसान के फितरत भी बदले,
गयी कमाई अमीर की तो वो रोया
किसान मरा तो काहे साला मराया
दुश्मन मुल्क का नाम लेकर
मैंने अपने ही भाई की कुटिया जला ली
हाँ मुझको आजादी मिली
किस बात की मिली
सुबह निकलकर तिरंगा लहराया
होते ही शाम को दंगा भी कर डाला
नेता को सुधारने में चला घर पर ही निकम्मा बैठकर
सबने अपनी कर ली तो मैंने भी अपनी ही कर डाली
हाँ मुझको आजादी मिली
किस बात की मिली