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Pradeepti Sharma

Others

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Pradeepti Sharma

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आज का दौर

आज का दौर

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जहाँ औरों की बर्बादियों का लुत्फ़,

सुबह की चाय की चुस्कियों के साथ लिया जाता है, 

जहाँ दर्द, पीड़ा,और अपमान की खबरों का तड़का, 

दोपहर के भोजन की चर्चा में लगाया जाता है, 

जहाँ झूठ, फ़रेब, और विषैले मुद्दों का चस्का, 

शाम के पकोड़े के साथ चटनी की तरह लगाया जाता है

जहाँ लालच, पाखण्ड, और घृणा का कूटा हुआ मसाला, 

रात में हाज़मे के लिए एक चूरन की तरह खाया जाता है

यूँ ही इस लोकतंत्र में इंसानियत, इन्साफ, और संवेदना का,

रोज़ हिचकियों और ठहाकों से मज़ाक़ उड़ाया जाता है!



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