आह्लादित पावन मन
आह्लादित पावन मन
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इंसान जब सदकर्म करने लग जाए तो,
उसके मन में विवेक का उदय हो जाता है!
अज्ञान रूपी कोहरा ज़ब छंट जाए तो,
ज्ञान का प्रकाश विस्तारित हो जाता है!
पढ़कर ग्रन्थ ज्यों नित्य बुद्धि विवेक के,
मन और भी स्वच्छ व निर्मल हो जाता है!
दीन दुखियों की सदा करते रहें मदद तो,
बहुजन्म का सब घुर्णन शेष हो जाता है!
पवित्र भक्तिभाव से ह्रदय हो ओतप्रोत तो,
आह्लादित ये मन पावन हो जाता है !
श्रद्धा सहित नियम धर्म का पालन करें तो,
संसार के दुख कष्टों से दूर मन हो जाता है !