Bhawna Kukreti Pandey
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कुछ
सत्य के
अघात अप्रत्याशित होते हैं ,
तीव्र पीड़ा असीम हो उठती है।
क्षण में ही
सब सुन्दर छल
नाचते हैं आँखों के सामने
अपने विकृत वास्तविक स्वरूप में ।
आहत
क्षत हृदय
नयन नीरमय
आकुल प्राण
विह्वल हो चाहते हैं
तुरन्त आलिंगन परम सत्ता का।
बिना बात
अनकहा ...
मुझे चाहिए वो...
पुकार
भेद नहीं हम द...
तुम्हारी बाते...
रिक्त होना
लिहाज
रहम करो !
हैसियत