आगाज़
आगाज़
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अभी तो यह आगाज़ है,
परवाज़ बहुत है
मत समझ कमजोर
खुद को ऐ परिन्दे,
तुम्हारे पंखों में ज़ान बहुत है,
माना कि नवांकुर पंख
हैं तुम्हारे और राह कठिन है,
पर संघर्ष जारी रखना
तुम धैर्य के साथ।
ज़िंदगी खेल नहीं है,
चलना रूकना कुछ सुस्ताना
फिर उड़ान भरना,
पर हार कर बैठ मत जाना।
देखो आ रही है
मंज़िल पास तुम्हारे,
अनवरत संघर्ष से
पाओगे तुम एक दिन
अपना मुकाम।