आए है लोग समझाने को
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आए है लोग समझाने को
कुछ कहने को, कुछ बताने को,
आँखों के कोरे सूने सूने से
मीरासिम चमके तो उन्हें गिराने को।
आए है लोग समझाने को
कुछ बीते वक़्त को याद दिलाने को,
हाथ की लकीरों से मिटा कर,
मेरे नसीब में वो नहीं बताने को।
आए है लोग समझाने को
कुछ रिश्ते नातों के स्वाद चखाने को,
खुद के खट्टे मीठे अनुमानों में,
जो उलझे हुए है मुझमे आए सुलझाने को।