आदि शक्ति जगदंबा के दिव्य रूप
आदि शक्ति जगदंबा के दिव्य रूप
आदि शक्ति जगदंबा के
दिव्य रूपों की भक्ति
करें आराधना और पूजें
नौ रूपों की शक्ति
प्रथम शैलपुत्री माता
जो करें इनकी भक्ति
निरोगी रहती काया सबकी
जो करते माँ से विनती
द्वितीय रूप में ब्रह्मचारिणी
तपस्विनी स्वरूपा होती
शक्कर के भोग मात्र से आयु में वृद्धि होती
तृतीय रूप में चंद्रघंटा
जो मनवांछित फल देती सिर पर अर्धचंद्र माता
सदैव ही धारण करती
चौथे दिवस कुष्मांडा मां की
जन-जन करते हैं भक्ति
कहते हैं इनके उदर से
होती ब्रह्मांड की उत्पत्ति
पांचवा दिन स्कंद माता का
कुमार कार्तिकेय माँ कहलाती
इस दिन उपासक को तो स्वतः ही सिद्धियां फलती
छठा रूप मांँ कात्यायनी का
ऋषि कात्यायनकी पुत्री कहलाती
भोग शहद का लगा दिया
तो आकर्षण में वृद्धि होती
सातवां दिन मां कालरात्रि का
जन जन के कष्ट हैं हरती
गुड़ के भोग से प्रसन्न हो
बुरी शक्तियों का नाश करती
आठवां दिन मां महागौरी का जो असंभव को संभव करती
भेंट नारियल, वर लो मांग
माँ निसंतान को संतान देती
नवरात्रों के नौवे दिन पूजो मांँ कल्याणकारी सिद्धिदात्री
सभी सिद्धियों की स्वामिनी मृत्यु के भय को दूर करती
शत-शत प्रणाम है
माता के दिव्या रूपों को
करें आराधना और उपवास सफल करेगी मां सबकी भक्ति।
