एक टुकड़ा छाँव का लेते आना, ज़िन्दगी की उलझनों में, अब झुलस रहा है मेरा वजूद...! एक टुकड़ा छाँव का लेते आना, ज़िन्दगी की उलझनों में, अब झुलस रहा है मेरा वजूद...!
जिदंगी दो पलो का अफसाना है, आज जिंदगी कल मर जाना है! जिदंगी दो पलो का अफसाना है, आज जिंदगी कल मर जाना है!
उनके पैर की झांझर दिन रात रांझा रांझा कहती थी, वो भी आज कल हीर सी बावरी रहती थी। उनके पैर की झांझर दिन रात रांझा रांझा कहती थी, वो भी आज कल हीर सी बावरी रहती...