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एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में। एक अजीब सी विडम्बना है विधवा की इस समाज में।
वो माफ तो कर देगी ना ? हां, शायद कर देगी या क्या पता नहीं भी वो माफ तो कर देगी ना ? हां, शायद कर देगी या क्या पता नहीं भी
मै अकेला फिर रहा हूं,जिंदगी की तलाश में,चाहता हूं कोई तो अपना हर कदम पे साथ दे मै अकेला फिर रहा हूं,जिंदगी की तलाश में,चाहता हूं कोई तो अपना हर कदम पे साथ दे
लोगो को लगता है जैसे ढ़ेर सारी मुस्कान है, कैसे उन्हें बताऊं ये। ... लोगो को लगता है जैसे ढ़ेर सारी मुस्कान है, कैसे उन्हें बताऊं ये। .....
धड़ पर कपड़े हो ना हो, पर सांसें इनकी जिंदा है, हमें होना पड़े शर्मिंदा पर इनके लिए कभी ना निंदा ... धड़ पर कपड़े हो ना हो, पर सांसें इनकी जिंदा है, हमें होना पड़े शर्मिंदा पर इन...
दिन रात सुबह शाम, हर वक़्त सोचता हूं तुम्हें और ना चाहूं तो नादान जज़्बात फिसल जाती हैं मे... दिन रात सुबह शाम, हर वक़्त सोचता हूं तुम्हें और ना चाहूं तो नादान जज़्...
हर वक़्त सोचता हूँ तुम्हें,, और ना चाहूँ तो नादान जज़्बात फिसल जाती है मेरी, पता नहीं क्यो... हर वक़्त सोचता हूँ तुम्हें,, और ना चाहूँ तो नादान जज़्बात फिसल जाती है मे...
सरहदों पर भी ये रानी बनी, वीर-गाथा की नयी कहानी बनी, दुश्मनों की गर्दन भी मरोड़ लायेंगी , म... सरहदों पर भी ये रानी बनी, वीर-गाथा की नयी कहानी बनी, दुश्मनों की गर्दन भी ...