इक फितूर ने लिखना सिखा दिया हम लिखते रहे और लोगों ने शायर बना दिया .
छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी। छुपे हुए राज की हकीकत से रूबरू होती खामोशी।
घमंड करूँ अब मैं क्या संगी, साथी, सखा, सब छोड़ता चला गया मैं तो ऐसा नहीं था मुझे वक्त बदलकर चला... घमंड करूँ अब मैं क्या संगी, साथी, सखा, सब छोड़ता चला गया मैं तो ऐसा नहीं था ...
बुरे वक़्त ने गलतफ़हमी दूर कर दी मेरी, बस बेचैनी, बेबसी और मायूसी हाथ है मेरे... बुरे वक़्त ने गलतफ़हमी दूर कर दी मेरी, बस बेचैनी, बेबसी और मायूसी हाथ है मेरे...
क्या औकात है इस दौलत की, सांसों की वसीयत तेरे नाम कर देते... क्या औकात है इस दौलत की, सांसों की वसीयत तेरे नाम कर देते...
दिल बोलता है सब्र क्र तजुर्बा क्या मुफ्त मिलता है दिल बोलता है सब्र क्र तजुर्बा क्या मुफ्त मिलता है
जीती हुई हर बाजी हँस कर हार जाता हूँ। जीती हुई हर बाजी हँस कर हार जाता हूँ।
ताउम्र तरसते रहे उस एक पल के लिए . ताउम्र तरसते रहे उस एक पल के लिए .
रख खारा स्वाद नमक सा सो पास आत भग जाये। रख खारा स्वाद नमक सा सो पास आत भग जाये।
चलो इसी बहाने मैं हकीकत से रुबरू तो होता हूँ, जो चार दोस्त थे गिनती के उन्हे दो कर लेता हूँ चलो इसी बहाने मैं हकीकत से रुबरू तो होता हूँ, जो चार दोस्त थे गिनती के उन्हे दो...
ये रात भर मुझे यूँ ही जगाती रही। ये रात भर मुझे यूँ ही जगाती रही।