आदमी कभी पैदा नहीं होता आदमी बनता है आदमी की फैक्ट्री में
मैं बाजारू, बिकती हूँ बाजारों में ! तुम्हारे फार्म हाउस की नहीं। मैं बाजारू, बिकती हूँ बाजारों में ! तुम्हारे फार्म हाउस की नहीं।
देख लला को अवध नरेश, दारुण दर्द सही थी जनता देख लला को अवध नरेश, दारुण दर्द सही थी जनता
बने बनाए स्वर्ग को, जो दीप्तिमान रहता है घृणा के चिंगारी से। बने बनाए स्वर्ग को, जो दीप्तिमान रहता है घृणा के चिंगारी से।
विमर्शों में विमर्श है गांधी विषादों में, हर्ष हैं गांधी।। विमर्शों में विमर्श है गांधी विषादों में, हर्ष हैं गांधी।।
हरीश गयन सकुचाय ! सोच विचार के फिर से बोलेन, दूलहिन ! का कुछ मीठा बाय ? हरीश गयन सकुचाय ! सोच विचार के फिर से बोलेन, दूलहिन ! का कुछ मीठा बाय ?
प्रिय लट पर ओस की बूंदें जब कंचन हों लाली से दिनकर के, प्रिय लट पर ओस की बूंदें जब कंचन हों लाली से दिनकर के,
हक़ मांग रहा मजदूर, उन्हें चाहिए इतनी मजदूरी जिससे करें जरूरत पूरी। हक़ मांग रहा मजदूर, उन्हें चाहिए इतनी मजदूरी जिससे करें जरूरत पूरी।
क्या ठोकरों के डर से, अब चलना ही छोड़ दें या आंधियों के डर से, निकलना ही छोड़ दें। क्या ठोकरों के डर से, अब चलना ही छोड़ दें या आंधियों के डर से, निकलना ही छोड़...
एक बार फिर, दिव्य दर्शन हुआ टीवी पर, अखबारों में, मोबाइल में, इस बार, ज्ञान बेचते एक बार फिर, दिव्य दर्शन हुआ टीवी पर, अखबारों में, मोबाइल में, इस बार, ज्ञा...
जो हो ना नियंत्रित पंजे में रखिए उन्हें शिकंजे में। जो हो ना नियंत्रित पंजे में रखिए उन्हें शिकंजे में।