बगुले मांगते केंचुए अपने
ज़हर न घोलो खेतों में
गिद्ध मांगते मुर्दा डांगर
कब छोड़ोगे भक्षण उनका
जीव- जंतु हैं मांग रहे
जी लेने दो उन्हें उम्र भर,
शेर बोलता
मुक्त करो तुम उसे जेल से
लौटा दो तुम उनका देश
मैं बोलता बदलो खुद को
न बदलो तुम केवल भेष !!
~आनन्द मिश्र