Civil Engineer
सहरा-ए-दिल में खिलते हैं तेरी यादों के फूल यहां मेरी आँखों से बरसात होती है अक़्सर सहरा-ए-दिल में खिलते हैं तेरी यादों के फूल यहां मेरी आँखों से बरसात होती है ...
रहा जमाना मुद्दतों मसरूफ़ मेरी राख़ को बिखराने में। रहा जमाना मुद्दतों मसरूफ़ मेरी राख़ को बिखराने में।
आ ना जाए कहीं सैलाब मयकदे में यहाँ बैठ कर अंजाम-ए-वफ़ा की बात ना कर। आ ना जाए कहीं सैलाब मयकदे में यहाँ बैठ कर अंजाम-ए-वफ़ा की बात ना कर।
गिरे तो उस शबनम-ए-गुल का कोई कतरा मेरे दामन में फिर क्या झील क्या दरिया मैं समँदर दरकिनार करूँ गिरे तो उस शबनम-ए-गुल का कोई कतरा मेरे दामन में फिर क्या झील क्या दरिया मैं समँद...
हर एक की ज़ुबाँ पर बस तेरा ही नाम था गुफ़्तगू जो की मैंने अपनी नाकामियों से हर एक की ज़ुबाँ पर बस तेरा ही नाम था गुफ़्तगू जो की मैंने अपनी नाकामियों से
देखना बंद कर खुद को दुनिया की नज़रों से नहीं तो ता-उम्र खुद से खफ़ा ही रह जाएगा देखना बंद कर खुद को दुनिया की नज़रों से नहीं तो ता-उम्र खुद से खफ़ा ही रह जाएगा
ज़रूरतों ने इतने हिस्सों में बाँटा मुझे कि जब मुकम्मल हुईं सब तब मैं कहीं ना था ज़रूरतों ने इतने हिस्सों में बाँटा मुझे कि जब मुकम्मल हुईं सब तब मैं कहीं ना था
शमशीर-ए-नाकामी ने कर दिए ना जाने कितनों के सर कलम शमशीर-ए-नाकामी ने कर दिए ना जाने कितनों के सर कलम
ढूँढ ना लूँ उसे कहीं उसके नक़्श-ए-पा देखकर अपने दुपट्टे को ज़मीँ पे इरादतन रगड़ाता चल रहा है कोई ढूँढ ना लूँ उसे कहीं उसके नक़्श-ए-पा देखकर अपने दुपट्टे को ज़मीँ पे इरादतन रगड़ाता...
डूबी जो कश्ती तो बस लगा दी तोहमत समंदर पर किसको खबर की उसे गर्त करने में पतवार भी शुमार थी डूबी जो कश्ती तो बस लगा दी तोहमत समंदर पर किसको खबर की उसे गर्त करने में पतवार भ...