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अगर वक़्त नहीं शफ़ीक़ है। अगर वक़्त नहीं शफ़ीक़ है।
ना कोई शिकवा, ना कोई रंज ना कोई गिला होता। ना कोई शिकवा, ना कोई रंज ना कोई गिला होता।
माना कि आज अंधेरा है डर ने हमें घेरा है माना कि आज अंधेरा है डर ने हमें घेरा है
जुगनुओं की तरह टिमटिमाते हैं क़ुछ अधूरे ख्वाब रात भर। जुगनुओं की तरह टिमटिमाते हैं क़ुछ अधूरे ख्वाब रात भर।
तेरे सदके में दुआयें पढ़ती हूँ। तेरे सदके में दुआयें पढ़ती हूँ।
सुनो, आज भी फुरकत की शाम में आँखें तेरे दीदार को तरसता है। सुनो, आज भी फुरकत की शाम में आँखें तेरे दीदार को तरसता है।
कभी देखा है, उजले धूप से ख़्वाब को? कभी देखा है, उजले धूप से ख़्वाब को?
आहें भरता हुआ चाँद आहें भरता हुआ चाँद