वरिष्ठ अध्यापक (हिन्दी), स्वतंत्र लेखक
पहाड़ों के आंचल को बर्फ ने ढक लिया, पहाड़ों के आंचल को बर्फ ने ढक लिया,
टकरा के सागर की लहरें किनारों से बार-बार यह कहती है, टकरा के सागर की लहरें किनारों से बार-बार यह कहती है,
जब भी बोलती है, कोई सुधार करती है, जब भी बोलती है, कोई सुधार करती है,
कोई लाल, कोई पीला, कोई गुलाबी, रंगों में लिपटा, सबका हाल गुलाबी। कोई लाल, कोई पीला, कोई गुलाबी, रंगों में लिपटा, सबका हाल गुलाबी।
वत्सल जल का निर्झर निरंतर, ममतामय अम्बर अपरंपार है....। वत्सल जल का निर्झर निरंतर, ममतामय अम्बर अपरंपार है....।
चाह यही, अंत समय तक कलम चलाऊँ। चाह यही, अंत समय तक कलम चलाऊँ।
मैं खड़ा हूँ..., हर आवाज़ को आवाज़ देने के लिए। मैं खड़ा हूँ..., हर आवाज़ को आवाज़ देने के लिए।
इतिहास के पन्नों में, अमर हो गये बलिदानी। इतिहास के पन्नों में, अमर हो गये बलिदानी।
कलमकार हूँ, सच कहता हूँ, जो कुछ है, उसको कहने की क्षमता रखता हूँ। कलमकार हूँ, सच कहता हूँ, जो कुछ है, उसको कहने की क्षमता रखता हूँ।
धर्म पर अंगुलियाँ क्या उठी, आदमी ने धरती श्मशान बना दी। धर्म पर अंगुलियाँ क्या उठी, आदमी ने धरती श्मशान बना दी।