पेशे से शिक्षक व स्वतंत्र लेखक
रसों से यूंँ भरो मांँ कंठ कोविद। मधुर रसपान देना शारदे माँ।। रसों से यूंँ भरो मांँ कंठ कोविद। मधुर रसपान देना शारदे माँ।।
नहीं मृदा यहांँ नए-नए सुधार से। रूठ कर धरा बुरे प्रभाव पूछने लगी।। नहीं मृदा यहांँ नए-नए सुधार से। रूठ कर धरा बुरे प्रभाव पूछने लगी।।
रहेगा राह में रोड़ा न कोई भी। मुझे काँटे हटाने का तजुर्बा है।। रहेगा राह में रोड़ा न कोई भी। मुझे काँटे हटाने का तजुर्बा है।।
जिन्हें ज़िंदगी में बसाने लगे । वही आज दिल को जलाने लगे।। जिन्हें ज़िंदगी में बसाने लगे । वही आज दिल को जलाने लगे।।
वर्ण वर्ण से जुड़कर ऐसा काव्य प्रसार किया। वर्ण वर्ण से जुड़कर ऐसा काव्य प्रसार किया।
मार्ग चाहे था कठिन पर। मुश्किलों ने पग पसारे।। मार्ग चाहे था कठिन पर। मुश्किलों ने पग पसारे।।
कड़क बिजली विकल घर्षण। विश्राम सूरज का, चमकती चांदनी रातें।। कड़क बिजली विकल घर्षण। विश्राम सूरज का, चमकती चांदनी रातें।।
देख कर यह घाव गहरे राष्ट्र के। काल भी आँसू बहाए जा रहा।। देख कर यह घाव गहरे राष्ट्र के। काल भी आँसू बहाए जा रहा।।
कष्ट आघात लिए आँचल में। कर्म कर्तव्य निभाती गंगा।। कष्ट आघात लिए आँचल में। कर्म कर्तव्य निभाती गंगा।।