वसंत ऋतु का आगमन
वसंत ऋतु का आगमन
कड़ाके की सदियों के पश्चात मौसम सुहावना होने लगता है। मीरा अपनी मां से पूछती है कि मौसम में इतना अधिक परिवर्तन क्यों हो रहा है ? तब मीरा की माँ गायत्री उसे बताती है कि इस परिवर्तन का कारण वसंत ऋतु का आगमन है। तभी मीरा के मन में एक प्रश्न और आता है कि यह वसंत ऋतु क्या होती है ? तब गायत्री दूध गर्म करते हुए उसे बताती है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है । मीरा को हिन्दी के महीनों की समझ नहीं है , तब गायत्री उसे अंग्रेजी महीनों ( फरवरी , मार्च, अप्रैल के मध्य तक) वसंत ऋतु अपना सौंदर्य बिखेरती है , यह सब बताती है।
गायत्री कहती है कि "जब हम छोटे थे तब हमारी दादी कहती थी कि फाल्गुन का महीना वर्ष का अंतिम और चैत्र का महीना वर्ष का पहला महीना होता है । और इन दोनों में ही वसंत ऋतु का आगमन होता है। ये दोनों महीने वर्ष के अत्यंत सुखद महीने होते है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है और मौसम बहुत ही सुहावना हो जात है।
गायत्री कहती है कि इस ऋतु में नए -नए फूल खिलने लगते है तथा नए -नए पौधे उगने लगते है। चारों तरफ हरियाली होती है और वातावरण बहुत ही खुशबूनुमा हो जाता है।"
मीरा को गायत्री की बातें अच्छी लगने लगती है। गायत्री के चुप होने पर मीरा उससे कहती है कि मां वसंत ऋतु के बारे में और बताओं ना। तब गायत्री मीरा से कहती है कि हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुग कहा गया है । वसंत ऋतु में वसंत पंचमी, शिवरात्रि और होली जैसे त्यौहार आते है। भारतीय संगीत साहित्य और कला में इसे महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है । संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते है। गायत्री कहती है कि हमारे घर में जो तुलसी अधिक सर्दियों के कारण सूख गई थी वह फिर से हरी होने लगी है । उसमें छोटी - छोटी पत्तियां आने लगी है। यह भी वसंत ऋतु के आगमन का संकेत है।" तभी मीरा की सहेलियां आती है और उसे खेलने के लिए बुलाकर ते जाती है।
