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Akanksha Gupta

Children Stories Children

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Akanksha Gupta

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साबू और मेरी सफ़ाई

साबू और मेरी सफ़ाई

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“देखिए जी, दीवाली आ रही हैं और घर की साफ सफाई होनी बाकी हैं। सबकुछ ठीक है लेकिन छत के पंखों की सफाई मेरे वश की बात नहीं है। इनके लिए एक दिन के लिए मजदूर ले आओ।” ननकी बोली तो मुझे हँसी आ गई।

“इसके लिए मजदूर को बुलाने की क्या जरूरत है, अपने चाचा चौधरी और साबू को बुला लो। उसकी लंबाई भी अच्छी है, अच्छी साफ सफाई हो जाएगी

“देखो आप इस तरह से उनका मजाक नहीं उड़ा सकते।” ननकी ने गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“कौन किसकी मज़ाक उड़ा रहा है ?” चाचा चौधरी ने साबू के साथ अंदर आते हुए कहा।

उन दोनों को देखते ही ननकी के होश उड़ गए। उसने धीरे से कहा- “कुछ नहीं चाचाजी बस साफ़ सफाई के बारे मे बात चल रही थीं कि छत के पंखे कौन साफ़ करेगा।”

ननकी के इतना कहते ही चाचा चौधरी ने साबू की ओर देखा और साबू ने देखते ही देखते पूरा घर साफ कर दिया।

इसके बाद जब उसके खाने की बारी आई तो मेरे होश उड़ गए। साबू एक दिन में एक समय में करीब तीन सौ रोटियां खाता था। रोटियां सेंकते सेंकते दो घंटे बीत गए।

अब मुझे समझ में आ रहा था कि ननकी ने मजदूर बुलाने के लिए क्यों कहा था।


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