रात भर उठता रहा धुँआ
रात भर उठता रहा धुँआ
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बेहिसाब बारिश
सूखे का मंगलगान हुआ अपवित्र
भेड़ें चरती रहीं फाइलों में कालीन
रात भर उठता रहा धुँआ
अकेला हुआ मैं .