STORYMIRROR

Rajkumar Kumbhaj

Others

3  

Rajkumar Kumbhaj

Others

मैं , कवि से कुत्ता

मैं , कवि से कुत्ता

1 min
14K


 

मैं , कवि से कुत्ता

कुत्ते से बीमार कुत्ता कुछ अधिक

और बीमार कुत्ते से कुछ अधिक

लाचार नागरिक होता जा रहा हूँ

भौंकना चाहता हूँ और खाँसने लगता हूँ

हँसना चाहता हूँ और हकलाने लगता हूँ

बोलना चाहता हूँ और भूलने लगता हूँ

भूलना एक बीमारी होती है जानते है सब

बिल्ली भूरी हो या काली चूहाखोर होना चाहिऐ

और जो भूलती न हो भूलना

कि भूलने का होता नहीं है रंग कोई एक

किसिम-किसिम से भूलने के बीमार कई

मैं जानता हूँ और जानता हूँ बेहतर

कि भूलता नहीं हूँ ज़ख़्म वे

जो वक़्त के सरपंच ने रखे मेरे सर ऊपर

सर ऊपर सिर्फ़ आसमान ही नहीं होता है

आरोपों भरी बदनियति का पुलिंदा भी

पुलिंदा कब हुआ शेरों का?

शेरों ने कब की राजनीति ?

शेरों ने कब खाया अंगूर ?

तब भी जबकि, अंगूर थे सामने

और खट्टे नहीं थे अंगूर

कुत्ते देख रहे थे सब

और भूल रहे थे भौंकना

कुत्ते भौंक रहे थे सब , जैसे कविता में कवि

और भौंक थी कि लगती थी भौंक का अभिनय

अभिनय ही कर रहे थे सब

भूलते हुऐ पक्ष-विपक्ष की ज़िम्मेदारी

फिर भौंकते हुऐ फिर-फिर

ज़िद्दी पुलिस की ज़िद्दी तलाश में

एक दिन पकड़ ही लिया गया मैं अकेला

मैं , कवि से कुत्ता

 


Rate this content
Log in